
हिंदी सिनेमा के बेहतरीन लेखकों में शà¥à¤®à¤¾à¤° जावेद अखà¥à¤¤à¤° आज अपना 72 वां जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨ मना रहे हैं ।
Also Read :-कà¥à¤µà¤¾à¤‚टिको’ के सेट पर सà¥à¤Ÿà¤‚ट करने के दौरान घायल हà¥à¤ˆà¤‚ पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤‚का चोपड़ा असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² में à¤à¤°à¥à¤¤à¥€
जावेद का नाम हिंदी सिनेमा के उन महान लेखकों, कवियों, और पटकथा लेखकों में शामिल है जिनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¥‡à¤‚ बॉलीवà¥à¤¡ को à¤à¤• नई पहचान दी है । आइठआज जावेद साहब के हिंदी सिनेमा के सफर के बारे में जानते हैं कà¥à¤› दिलचसà¥à¤ª बातें । जावेद साहब को शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ को खूबसूरती से पिरोने का हà¥à¤¨à¤° अपने पिता निसार अखà¥à¤¤à¤° से विरासत में मिला थ।
जी हां जावेद के पिता निसार अखà¥à¤¤à¤° à¤à¥€ à¤à¤• जाने माने उरà¥à¤¦à¥‚ शायर थे ।
आंखों में सपने और हांथों में कागज कलम लिठसाल 1964 में जावेद अखà¥à¤¤à¤° मà¥à¤‚बई आठयंहा उनकी मà¥à¤²à¤¾à¤•ात 1971 में सलमान खान के लेखक पिता सलीम खान से हà¥à¤ˆ और सलीम खान के साथ जावेद नें मिलकर हिनà¥à¤¦à¥€ फिलà¥à¤® अंदाज़ का सà¥à¤•à¥à¤°à¥€à¤¨ पà¥à¤²à¥‡ लिखना शà¥à¤°à¥‚ किया ।
इस फिलà¥à¤® को लिखने के लिठजावेद नें कई रातें खà¥à¤²à¥‡ आसमान तले पेड़ों के नीचे गà¥à¤œà¤¾à¤°à¥€ । लेकिन इस गीतकार के लिठहिंदी सिनेमा में अपनी à¤à¤• अलग पहचान बना पाना इतना आसान नही था ।
जावेद साहब नें काफी मेहनत की और इसी दौरान साल 1981 में आई हिंदी फिलà¥à¤® सिलसिला का गीत लिखने का मौका उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यश चोपड़ा नें दिया । जावेद साहब की मेहनत रंग लाई और उनका गीत देखा à¤à¤• खà¥à¤µà¤¾à¤¬ तो ये सिलसिले हà¥à¤ 90’s के दौर में सà¥à¤ªà¤° हिट साबित हà¥à¤† । इसी के साथ ही उनका फिलà¥à¤®à¥€ सफर तेज रफà¥à¤¤à¤¾à¤° के साथ बॉलीवà¥à¤¡ में चल पड़ा ।
इसी दौरान उनकी मà¥à¤²à¤¾à¤•ात सà¥à¤•à¥à¤°à¥€à¤¨ राइटर हनी ईरानी के साथ हà¥à¤ˆ खास बाद ये है की हनी ईरानी का जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤¨ à¤à¥€ 17 जनवरी को ही आता है जावेद नें हनी के साथ साल 1972 में शादी की । उस दौरान हनी की उमà¥à¤° महज 17 साल थी ।
जावेद अखà¥à¤¤à¤° और ईरानी के दो बचà¥à¤šà¥‡ हैं फरहान अखà¥à¤¤à¤° और जोया अखà¥à¤¤à¤°à¥¤ हालाकिं जाबेद और हनी की शादी जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ समय तक नही टिक पाई और दोनों साल 1978 में अलग हो गये। हनी के साथ तलाक के बाद जावेद अखà¥à¤¤à¤° ने साल 1984 में à¤à¤•à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤¸ शबाना आजमी से दूसरी शादी की।
जावेद साहब नें अपने करियर के शà¥à¤°à¥‚आती दौर में साज़, गोड मदर, रिफà¥à¤¯à¥‚जी, बोरà¥à¤¡à¤°,लगान जैसी फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ के लिठगीत लिखे और इन सà¤à¥€ फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ के लिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नेशनल अवारà¥à¤¡ à¤à¥€ मिलें । साल 1995 में आई हिंदी फिलà¥à¤® 1942 अ लव सà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¥€ का फेमस सांग à¤à¤• लड़की को देखा तो à¤à¤¸à¤¾ लगा के बोल आज à¤à¥€ लोगों की जà¥à¤µà¤¾à¤¨ पर छाठहैं ।
दरà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ गीतों और कई फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ के लिठसà¥à¤•à¥à¤°à¥€à¤¨ पà¥à¤²à¥‡ लिखने के बाद जावेद साहब नें साल 1983 में आई सनी देओल और अमृता सिंह की फिलà¥à¤® बेताब की कहानी के साथ ही फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ की कहानियां लिखनी शà¥à¤°à¥‚ कीं बेताब समेत दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾, मसाल, सागर अरà¥à¤œà¥à¤¨,रूप की रानी चोरों का राजा जैसी कई फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ की बेहतरीन कहानी लिखने के लिठजाबेद अखà¥à¤¤à¤° को कई राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ फिलà¥à¤® पà¥à¤°à¤·à¥à¤•ार से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ किया गया ।
जावेद अखà¥à¤¤à¤° की कविता संगà¥à¤°à¤¹ ‘लावा’ के लिठउरà¥à¤¦à¥‚ का साहितà¥à¤¯ अकादमी पà¥à¤°à¤¸à¥à¤•ार à¤à¥€ मिल चà¥à¤•ा है। इसके अलावा हिंदी सिनेंमा में अपने महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£à¤‚ योगदान के लिठजावेद साहब को पदà¥à¤®à¤à¥‚षणं और पदà¥à¤®à¤¶à¥à¤°à¥€ जैसे सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š समà¥à¤®à¤¾à¤¨ से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ à¤à¥€ किया जा चà¥à¤•ा है ।
Also Watch video :- Javed Akhtar Biography – Birthday Special