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जाने क्यों कानूनी पचड़े में फंसी ‘ठग्स आफ हिंदुस्तान’ कोर्ट में गया मामला

उत्तर प्रदेश के जौनपुर में फिल्म ‘ठग्स आफ हिंदुस्तान’ के निर्माता, निर्देशक व अभिनेता आमिर खान के खिलाफ जाति विशेष को अपमानित कर मानहानि करने एवं भावनाओं को ठेस पहुंचाने का परिवाद दर्ज किया है. अदालत परिवाद दायर कराने वाले अधिवक्ता हंसराज चौधरी को गवाही के लिए 12 नवंबर को तलब किया है.

बता दें कि फिल्म का टाइटल बदलने एवं मल्लाह के पहले फिरंगी शब्द हटाने सम्बन्धी ज्ञापन दो दिन पहले निषाद समाज के लोगों ने भी जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को सौंपा था. दरअसल, आमिर खान की फिल्म ‘ठग्स आफ हिंदुस्तान’ एक अंग्रेजी उपन्यासकार के उपन्यास पर आधारित है जो आजादी के पूर्व आजादी के दीवानों को आतंकवादी ठग आदि शब्द कहते थे. फिल्म में 1795 की घटना दिखाई गई है.

अधिवक्ता हंसराज चौधरी ने ठग्स आफ हिंदुस्तान फिल्म के निर्माता आदित्य चोपड़ा, निर्देशक विजय कृष्णा, अभिनेता आमिर खान के खिलाफ परिवाद दायर किया है। उनके अलावा 30 अक्टूबर को प्रदीप निषाद, बृजेश निषाद, संजीव नागर, मनोज नागर ने परिवादी के आवास पर सोशल मीडिया पर फिल्म ठग्स ऑफ हिंदुस्तान का ट्रेलर देखा जिसमें मल्लाह जाति को फिरंगी मल्लाह शब्दों से संबोधित कर अपमानित किया गया है.

परिवादी के अधिवक्ता हिमाशु श्रीवास्तव व बृजेश सिंह ने परिवाद की पोषणीयता पर बहस किया कि जानबूझकर फिल्म की टीआरपी बढ़ाने, मुनाफा कमाने के लिए दुर्भावनापूर्ण तरीके से फिल्म का ऐसा नाम रखा गया और जाति विशेष को फिल्म में अपमानित किया गया. पूरे निषाद समाज को ठग व फिरंगी की संज्ञा दी गई.

परिवाद में कहा गया है कि फिल्म की कहानी केवल कानपुर जिले की है, फिर टाइटल ठग्स आफ हिंदुस्तान रखना फिल्मकारों की दुर्भावना दर्शाता है. फिल्म में आमिर खान को फिरंगी मल्लाह से संबोधित किया गया है. फिल्मकार जानते हैं कि विरोध पर फिल्म ज्यादा चलेगी. विरोध न होने पर लोग निषाद-मल्लाह को ठग व फिरंगी समझेंगे. फिल्मकारों के इस कृत्य से जातियों में घृणा व वैमनस्य की भावना पैदा हुई. साथ ही सौहार्द व देश की एकता व अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.

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