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90 के दशक के इस विलेन को देख स्लीपबर्ग नें की थी ये भविष्यवाणीं जानें

बीते कुछ सालों में बॉलीवुड और हिंदी सिनेमा का दौर काफी तेजी से बदला है कई नए अभिनेताओं नें अपनी एक्टिंग का जलवा दिखाया तो कुछ खास विलेन नें भी नकारात्मक छवी को पर्दे पर बड़े बेहतरीन तरीके फिल्माया। लेकिन अब भी बात जब हिंदी सिनेमा के विलेन की होती है तो सबसे पहला खयाल आता है अमरीश पूरी के बारे में जी हां इस अभिनेता को देख स्लीपबर्ग नें कहा था, की इसके जैसा ना कोई हुआ था और ना कोई दूसरा पैदा होगा, 90 के दशक के मशहूर खलनायक अमरीश एक बेहतरीन भारतीय अभिनेता रहे।

मोगाम्बो खुश हुआ डॉयलॉग नें दिया एक नया नाम

साल 1987 में आई सुपर हिट फिल्म मिस्टर इंडिया में अनिल कपूर की एक्टिंग से ज्यादा अमरीश पुरी की एक्टिंग को सराहना मिली हालाकि फिल्म में अमरीश एक विलेन के रोल में ही थे लेकिन उनके किरदार और खासकर उनके मशहूर डॉयलॉग मोगाम्बो खुश हुआ को दर्शकों बीच काफी पसंद किया गया फिल्म का ये डॉयलॉग इतना फेमस हुआ की आज भी बच्चे-बच्चे के मुंह से अक्सर सुनाई देता है।

 लाहौर में हुआ था अमरीश पुरी का जन्म

भारत का ये मशहूर खलनायक आज भले ही हमारे बीच नही हैं लेकिन अपने काम और अपने किरदार से अमरीश हमेशा के लिए अमर हो गए। अमरीश का जन्म 22 जून 1932 में लाहौर ब्रिटीश भारत में हुआ था ।अपने फिल्मी सफर के दौरान 400 से भी अधिक फिल्में करने वाले अमरीश को बचपन से ही अभिनय का शौक था लेकिन परिवार के पालन पोषण और आर्थिक तंगी को देखते हुए अमरीश को नौकरी

करीब 20 साल तक सरकारी नौकरी के बाद अमरीश नें सन 1954 में फिल्मों में अभिनय का फैसला किया लेकिन उनके  चेहरे और नाक नक्श को अपरिश्कृत और कठोर बताते हुए फिल्म निर्माताओं नें उनका उपहास उड़ाया लेकिन इन सबके के बाद भी अमरीश नें अपना इरादा नही छोड़ा और सन 1970 में आई देवआनंद की फिल्म प्रेम पुजारी के साथ अपने फिल्मी सफर पर निकल पड़े। साल 2006 में आई हिंदी फिल्म कच्ची सड़क अमरीश पुरी के जीवन की आखिरी फिल्म रही।

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