जनà¥à¤®à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¤®à¥€ सà¥à¤ªà¥‡à¤¶à¤², राधा-शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ पà¥à¤°à¥‡à¤® कहानी : जाने कैसे हà¥à¤ˆ थी राधा की मृतà¥à¤¯à¥, शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ ने कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ तोड़ दी थी बांसà¥à¤°à¥€?

जब à¤à¥€ पà¥à¤°à¥‡à¤® की मिसाल दी जाती है तो शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£-राधा के पà¥à¤°à¥‡à¤® की मिसाल सबसे पहले आती है. राधा-शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ के पà¥à¤°à¥‡à¤® को जीवातà¥à¤®à¤¾ और परमातà¥à¤®à¤¾ का मिलन कहा जाता है.
राधा शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ का बचपन का पà¥à¤¯à¤¾à¤° थीं. शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ जब 8 साल के थे तब उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ने पà¥à¤°à¥‡à¤® की अनà¥à¤à¥‚ति की. राधा शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ के दैवीय गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से परिचित थीं. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जिंदगी à¤à¤° अपने मन में पà¥à¤°à¥‡à¤® की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को बनाठरखा. यही उनके रिशà¥à¤¤à¥‡ की सबसे बड़ी खूबसूरती है.
कहा जाता है कि शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ को केवल दो ही चीजें सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¤¿à¤¯ थीं. ये दोनों चीजें à¤à¥€ आपस में à¤à¤•-दूसरे से गहराई से जà¥à¤¡à¤¼à¥€ हà¥à¤ˆ थीं- बांसà¥à¤°à¥€ और राधा.
कृषà¥à¤£ की बांसà¥à¤°à¥€ की धà¥à¤¨ ही थी जिससे राधा शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ की तरफ खिंची चली गईं. राधा की वजह से शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ बांसà¥à¤°à¥€ को हमेशा अपने पास ही रखते थे.
à¤à¤²à¥‡ ही शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ और राधा का मिलन नहीं हो सका लेकिन उनकी बांसà¥à¤°à¥€ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हमेशा à¤à¤• सूतà¥à¤° में बांधे रही.
शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ के जितने à¤à¥€ चितà¥à¤°à¤£ मिलते हैं, उनमें बांसà¥à¤°à¥€ जरूर रहती है. बांसà¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ के राधा के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¥‡à¤® का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• है. वैसे तो राधा से जà¥à¤¡à¤¼à¥€à¤‚ कई अलग-अलग कहानियां मौजूद हैं लेकिन à¤à¤• पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ कहानी है जो हम,आपको बताने जा रहे हैं
à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ से राधा पहली बार तब अलग हà¥à¤ˆà¤‚ जब मामा कंस ने बलराम और कृषà¥à¤£ को आमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ किया. वृंदावन के लोग यह खबर सà¥à¤¨à¤•र दà¥à¤–ी हो गà¤.मथà¥à¤°à¤¾ जाने से पहले शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ राधा से मिले थे. राधा, कृषà¥à¤£ के मन में चल रही हर गतिविधि को जानती थीं. राधा को अलविदा कह कृषà¥à¤£ उनसे दूर चले गà¤.
कृषà¥à¤£ राधा से ये वादा करके गठथे कि वो वापस आà¤à¤‚गे. लेकिन कृषà¥à¤£ राधा के पास वापस नहीं आà¤. उनकी शादी à¤à¥€ रà¥à¤•à¥à¤®à¤¿à¤¨à¥€ से हà¥à¤ˆ. रà¥à¤•à¥à¤®à¤¿à¤¨à¥€ ने à¤à¥€ शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ को पाने के लिठबहà¥à¤¤ जतन किठथे.शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ से विवाह के लिठवह अपने à¤à¤¾à¤ˆ रà¥à¤•मी के खिलाफ चली गईं. राधा की तरह वह à¤à¥€ शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ से पà¥à¤¯à¤¾à¤° करती थीं, रà¥à¤•à¥à¤®à¤¿à¤¨à¥€ ने शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ को à¤à¤• पà¥à¤°à¥‡à¤® पतà¥à¤° à¤à¥€ à¤à¥‡à¤œà¤¾ था कि वह आकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने साथ ले जाà¤à¤‚. इसके बाद ही कृषà¥à¤£ रà¥à¤•à¥à¤®à¤¿à¤¨à¥€ के पास गठऔर उनसे शादी कर ली.
कृषà¥à¤£ के वृंदावन छोड़ने के बाद से ही राधा का वरà¥à¤£à¤¨ बहà¥à¤¤ कम हो गया. राधा और कृषà¥à¤£ जब आखिरी बार मिले थे तो राधा ने कृषà¥à¤£ से कहा था कि à¤à¤²à¥‡ ही वो उनसे दूर जा रहे हैं, लेकिन मन से कृषà¥à¤£ हमेशा उनके साथ ही रहेंगे. इसके बाद कृषà¥à¤£ मथà¥à¤°à¤¾ गठऔर कंस और बाकी राकà¥à¤·à¤¸à¥‹à¤‚ को मारने का अपना काम पूरा किया. इसके बाद पà¥à¤°à¤œà¤¾ की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठकृषà¥à¤£ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•ा चले गठऔर दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•ाधीश के नाम से लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ हà¥à¤.
जब कृषà¥à¤£ वृंदावन से निकल गठतब राधा की जिंदगी ने अलग ही मोड़ ले लिया था. राधा की शादी à¤à¤• यादव से हो गई. राधा ने अपने दांपतà¥à¤¯ जीवन की सारी रसà¥à¤®à¥‡à¤‚ निà¤à¤¾à¤ˆà¤‚ और बूढ़ी हà¥à¤ˆà¤‚, लेकिन उनका मन तब à¤à¥€ कृषà¥à¤£ के लिठसमरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ था.
राधा ने पतà¥à¤¨à¥€ के तौर पर अपने सारे करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ पूरे किà¤. दूसरी तरफ शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ ने अपने दैवीय करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ निà¤à¤¾à¤.सारे करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से मà¥à¤•à¥à¤¤ होने के बाद राधा आखिरी बार अपने पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¤® कृषà¥à¤£ से मिलने गईं. जब वह दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤•ा पहà¥à¤‚चीं तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कृषà¥à¤£ की रà¥à¤•à¥à¤®à¤¿à¤¨à¥€ और सतà¥à¤¯à¤à¤¾à¤®à¤¾ से विवाह के बारे में सà¥à¤¨à¤¾ लेकिन वह दà¥à¤–ी नहीं हà¥à¤ˆà¤‚.
जब कृषà¥à¤£ ने राधा को देखा तो बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤. दोनों संकेतों की à¤à¤¾à¤·à¤¾ में à¤à¤• दूसरे से काफी देर तक बातें करते रहे. राधा जी को कानà¥à¤¹à¤¾ की नगरी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¿à¤•ा में कोई नहीं पहचानता था. राधा के अनà¥à¤°à¥‹à¤§ पर कृषà¥à¤£ ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ महल में à¤à¤• देविका के रूप में नियà¥à¤•à¥à¤¤ किया.
राधा दिन à¤à¤° महल में रहती थीं और महल से जà¥à¥œà¥‡ कारà¥à¤¯ देखती थीं. मौका मिलते ही वह कृषà¥à¤£ के दरà¥à¤¶à¤¨ कर लेती थीं. लेकिन महल में राधा ने शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ के साथ पहले की तरह का आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• जà¥à¤¡à¤¼à¤¾à¤µ महसूस नहीं कर पा रही थीं इसलिठराधा ने महल से दूर जाना तय किया. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सोचा कि वह दूर जाकर दोबारा शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ के साथ गहरा आतà¥à¤®à¥€à¤¯ संबंध सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ कर पाà¤à¤‚गी.
उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नहीं पता था कि वह कहां जा रही हैं, लेकिन à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ जानते थे. धीरे-धीरे समय बीता और राधा बिलकà¥à¤² अकेली और कमजोर हो गईं. उस वकà¥à¤¤ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ की आवशà¥à¤¯à¤•ता पड़ी. आखिरी समय में à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ उनके सामने आ गà¤.
कृषà¥à¤£ ने राधा से कहा कि वह उनसे कà¥à¤› मांगें, लेकिन राधा ने मना कर दिया. कृषà¥à¤£ के दोबारा अनà¥à¤°à¥‹à¤§ करने पर राधा ने कहा कि वह आखिरी बार उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बांसà¥à¤°à¥€ बजाते देखना चाहती हैं. शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ ने बांसà¥à¤°à¥€ ली और बेहद सà¥à¤°à¥€à¤²à¥€ धà¥à¤¨ में बजाने लगे.
शà¥à¤°à¥€à¤•ृषà¥à¤£ ने दिन-रात बांसà¥à¤°à¥€ बजाई, जब तक राधा आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• रूप से कृषà¥à¤£ में विलीन नहीं हो गईं. बांसà¥à¤°à¥€ की धà¥à¤¨ सà¥à¤¨à¤¤à¥‡-सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ राधा ने अपने शरीर का तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर दिया.
हालांकि à¤à¤—वान कृषà¥à¤£ जानते थे कि उनका पà¥à¤°à¥‡à¤® अमर है, बावजूद वे राधा की मृतà¥à¤¯à¥ को बरà¥à¤¦à¤¾à¤¶à¥à¤¤ नहीं कर सके. कृषà¥à¤£ ने पà¥à¤°à¥‡à¤® के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•ातà¥à¤®à¤• अंत के रूप में बांसà¥à¤°à¥€ तोड़कर à¤à¤¾à¤¡à¤¼à¥€ में फेंक दी. उसके बाद से शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ ने जीवन à¤à¤° बांसà¥à¤°à¥€ या कोई अनà¥à¤¯ वादक यंतà¥à¤° नहीं बजाया.
कहा जाता है कि जब दà¥à¤µà¤¾à¤ªà¤° यà¥à¤— में नारायण ने शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ का जनà¥à¤® लिया था, तब मां लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ ने राधा रानी के रूप में जनà¥à¤® लिया था ताकि मृतà¥à¤¯à¥ लोक में à¤à¥€ वे उनके साथ ही रहे.