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गुरूदत्त नें वहीदा रहमान को ऑफर किया था वेश्या का रोल

बॉलीवुड की पूर्व अभिनेत्री वहीदा रहमान आज अपना 79 जन्मदिन मना रही हैं। वहीदा हिंदी सिनेमा की एक जानी मानी और चर्चित अभिनेत्री हैं बचपन से ये एक्ट्रेस डॉक्टर बनना चाहती थीं लेकिन पैसों की तंगी के चलते वहीदा को फिल्मों में काम करना पड़ा । मशहूर फिल्मकार गुरूदत्त नें वहीदा को अपनी फिल्म प्यासा में एक वेश्या के रोल का ऑफर दिया जिसे करने से वहीदा नें साफ इंकार कर दिया लेकिन बाद में वहीदा इस रोल को करने के लिए तैयार हो गईं ।

 

वहीदा नें सन 1955 में आई तेलुगू फिल्म रोजुलु मराई के साथ डेब्यू किया , इस तेलुगू फिल्म में वहीदा नें एक डांस परफॉर्मेंस  दी यंही से वहीदा को कमाई का जरिया मिल गया ।

क्लासिकल डांस में महारत हासिल कर चुकीं वहीदा की इसी खूबी नें उन्हें तमिल सिनेमा का राश्ता सुझाया जयासिम्हा, कालम मारी पोछू जैसी तेलुगू, तमिल फिल्में करने के बाद हैदराबाद में एक फिल्म समारोह के दौरान हिंदी फिल्मों के मशहूर अभिनेता और फिल्मकार गुरूदत्त नें वहीदा को देखा और देखते ही उनका नाम पूछा वहीदा नें अपना नाम बताया वहीदा रहमान ।

गुरूदत्त नें जैसे ही ये नाम सुना तो फौरन वहीदा से पूछा की आपको हिंदी और उर्दू आती है? वहीदा नें बिना देर किए कहा हां आती है , गुरूदत्त नें यहीं पर वहीदा को अपनी अपकमिंग हिंदी फिल्म सी आई डी का ऑफर दिया ।साल 1956 में आई सी आई डी के साथ ही वहीदा नें हिंदी सिनेमा में कदम रखा हालाकिं देवानंद स्टारर इस फिल्म में वहीदा का रोल एक सपोर्टिंग एक्ट्रेस का था लेकिन गुरूदत्त नें उनके काम को देखा और उन्हें वहीदा का काम इतना अच्छा लगा की फौरन गुरूदत्त नें वहीदा को अपनी दूसरी हिंदी फिल्म प्यासा का ऑफर दिया, प्यासा में वहीदा को एक वेश्या का किरदार निभाने का रोल मिला

90 के दशक में एक वेश्या का किरदार निभाना और अंग प्रदर्शन जैसी बातों की वजह से वहीदा नें इस रोल को करने से साफ मना कर दिया लेकिन बाद में जब गुरूदत्त साहब नें इस रोल को लेकर उन्हें कंन्वेंस किया तो वाहीदा इसे करने के लिए मान गईं ।

प्यासा में वहीदा के साथ खुद गुरूदत्त नें बतौर लीड एक्टर काम किया और नब्बे के दशक में इस फिल्म नें राष्ट्रीय ,अंतराष्ट्रीय स्तर पर खूब सुर्खियां बटोरीं । आपको बता दें की गुरूदत्त और वहीदा की फिल्म प्यासा का नाम आज भी दुनिया भर की 100 सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक में गिना जाता है। तमिलनाडू की चेंगलपट्टु में जन्मी वहीदा को बचपन से ही नृत्य और संगीत का शौक रहा ।

अपने पूरे फिल्मी सफर के दौरान वहीदा नें एक से बढ़ कर एक बेहतरीन फिल्में कीं जिनमें तीसरी कसम, साहब बीबी और गुलाम, कागज के फूल, काला बाजार, एक फूल चार कांटे,चौधरी का चांद, नील कमल,बात एक रात की, कौन अपना कौन पराया, गाइड, खामोशी ,आदमी मनमंदिर जैसी कई फिल्में शामिल हैं । हिंदी सिनेमा में बेहतरीन योगदान के लिए वहीदा को पद्मश्री, पद्म भूषणं जैसे राष्ट्रीय पुरष्कारों से सम्मानित किया जा चुका है ।

बॉलीवुड में सफलता की बुलंदियों पर पहुंचने के बाद वहीदा का नाम गुरूदत्त के साथ जोड़ा जाने लगा यंहा तक की गुरूदत्त और उनकी पत्नि गीता दत्त के अलग होने की वजह भी वहीदा को ही माना जाने लगा जिसके बाद वहीदा नें गुरूदत्त के साथ कभी  कोई फिल्म न करने का फैसला किया और हमेशा के लिए गुरूदत्त की जिंदगी से दूर हो गईं ।

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