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किन्नरों के जीवन से जुड़े ऐसे 8 रहस्यों के बारे जानकर उड़ जाएंगे आपके होश

भारतीय समाज में इंसानों को स्त्री और पुरूष के अालावा भी एक और वर्ग है वो हैं किन्नर, आम तौर किन्नरों से हमारी मुलाकात हर रोज़ होती है कभी बस में तो कभी लोकल ट्रेन में तो कभी सामाजिक समारोह में ट्रेन में भले ही हम भिखारियों को पैसे ना दें या किसी को दान देने से मना कर दें लेकिन किन्नरों को पैसे देने से हम खुदको कभी रोक नही पाते और ना ही इंकार कर पाते हैं किन्नरों से भले ही हम हर रोज़ मिलते हों बात करते हों लेकिन उनकी ज़िंदगी आज भी किसी रहस्य से कम नही है। हमेशा दूसरों की खुशियों में शामिल होने वाले और दुआएं देने वाले किन्नर अाज भी असतित्व  विहीन जिंदगी जीने को मजबूर हैं। किन्नरों का इतिहास वैसे तो काफी पुराना है लेकिन किन्नर के बारे में कई ऐसे रहस्य हैं जिनसे हम आज भी अंजान हैं आइए जानते हैं इनकी ज़िंदगी से जुड़े ऐसे ही 8 रहस्य

किन्नर के जन्म का रहस्य 

किन्नर ना तो पूरी तरह से आदमी होते हैं और ना ही पूरी औरत इनकी शारीरिक संरचना में आधे मर्द तो आधी औरत होते हैं ज्योतिष विद्या के अनुसार कुंडली में जब शुक्र, बुद्ध, शनि ग्रहों की स्तिथि विपरित दिशा में होती है और उनके साथ ही राहू , केतू का प्रभाव इन ग्रहों पर भारी होता ऐसी दशा में किनन्रों का जन्म होता है इसी के साथ ही वैज्ञानिक तर्क की बात करें तो गर्भ धारण करने की अवस्था में गर्भ में वीर्य और रज दोनों की मात्रा समान होने पर पैदा होने वाली संतान किन्नर होती है।

क्यों छुपाते हैं मौत की खबर

किन्नरो के जन्म का रहस्य जितना हैरान कर देने वाला है उतना ही उनकी मौत भी हैरान कर देती है किन्नर हमेशा ही किन्नरों की मौत को गप्त रखते हैं और दुनिया की नज़रों से बचाकर मृतक का अंतिम संस्कार करते हैं कई लोगों का मानना है कि किन्नर किसी दूसरे की किन्नर की मौत का मातम नही मनाते बलकी खुश होते हैं की ऐसी जिंदगी से मुक्ती मिली।

नाच गानों और जश्न के साथ करते हैं नए किन्नर का स्वागत

किन्नर समाज के भी अपने रीति रिवाज़ होते हैं जब भी इस समाज में कोई नया किन्नर सदस्य आता है तो गाजे बाजे के साथ उसका स्वागत करते हैं और खाना पिना निमंत्रण करते हैं।

अपने भगवान अरावल से शादी करते हैं किन्नर

आम लड़के -लड़कियों की तरह ही किन्नर भी बाकायदा पूरे रीति रिवाज़ के साथ शादी करते हैं किन्नर अपने आराध्य देवता अरावन से साल में एक बार शादी करते हैं। और बड़े धूम धाम से किसी दुल्हन की तरह सजते संवरते और हर रश्म अदा करते हैं।

ग्रंथो में भी मिलता है किन्नर का उल्लेख

महाभारत में भी किन्नर का उल्लेख मिलता है महाभारत में भीष्म पितामह की मौत का कारण बनने वाली शिखंडी किन्नर ही थी महाभारत के वीर योद्धा अर्जुन नें भी अज्ञातवास के दौरान वृहला नाम के किन्नर का रूप धारण किया था।

ब्रम्हा जी की छाया से हुई थी किन्नर की उत्पत्ति

कई जगहों पर ऐसा भी उल्लेख मिलता है कि किन्नरों का जन्म ब्रह्मा जी की परछाई से हुआ था तो वहीं कई लोगों की मान्यता है कि कश्यप और अरिष्टा जैसे ऋषियों से किन्नरों की उत्पत्ति हुई थी।

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