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खिलजी की ख्वाइश को कुचलती पद्मावती की वीर गाथा है फिल्म पद्मावत जानें रेव्यू
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खिलजी की ख्वाइश को कुचलती पद्मावती की वीर गाथा है फिल्म पद्मावत जानें रेव्यू

दीपिका पादुकोण, शाहिद कपूर और रणवीर सिंह स्टारर फिल्म पद्मावत को देखने से पहले पढ़ें फिल्म का रेव्यू आखिर क्या है फिल्म की कहानी।

फिल्म की कहानी- पूरी फिल्म दिल्ली के सुल्तान खिलजी के सनकीपन, क्रूरता और और ख्वाइशों की कहानी है दिल्ली का एक सुल्तान जो पूरे भारत पर राज करना चाहता है वो एक मेवाड़ की रानी पद्मावती की वीरता के आगे हार जाता है चितौड़ की रानी पद्मावती कैसे खिलजी की ख्वाइशों को अपनी वीरता और पराक्रम से कुचलती हैं और एक वीरांगना की तरह उसके सामने बिना घुठने टेकने से बेहतर राजपुताना आन बान और शान को बचाने के लिए राज्य की सभी क्षत्राणियों के साथ जौहर कर लेती हैं फिल्म की पूरी कहानी इसी पर आधारित है।

दिल्ली के सुल्तान खिलजी को दुनिया की हर बेशकीमती चीज़ों को हासिल करने की सनक होती है और रानी पद्मावती के बारे में जब खिलजी सुनता है और उनके रूप गुण और गाथा के बारे में सुनकर पद्मावती को पाने की सनक लिए चितौड़ पर हमला कर देता है निहत्थे खिलजी को मेवाड़ के राजा रावल रतन सिंह जीवित छोड़ देते हैं राजपूत कभी निहत्थों पर वार नही करते राजा रावल रतन सिंह इस परंपरा को कायम रखते हैं लेकिन खिलजी धोखे से रतन सिंह को मार देता है और फिर चितौड़ पर कब्ज़ा करने की तैयारी करता है ऐसे में रानी पद्मावती खिलजी से युद्ध करने के लिए तैयार होती हैं।

 मशहूर साहित्यकार मलिक मोम्मद जायसी नें  1540 में पद्मावत लिखी थी संजय लीला भंसाली के इस फिल्म की कहानी पद्मावत पर आधारित है सन 1303 में खिलजी दुनिया की सबसे खूबसूरत और गुणवान रानी पद्मावती की शौर्य गाथा सुनकर उन्हें हासिल करने की जद्दोजहद करता है। रानी पद्मावती खूबसूरत होने के साथ ही एक श्रष्ठ धनुर्धर और होशियार भी हैं।  जिनके पास एक बोलता तोता है फिल्म में चित्तौड़ के वीर सूरमा गोरा और बादल की वीरता और शहादत पर भी प्रकाश डाला गया है। ज्ञात हो की 200 करोड़ के बजट में बनी संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत में राजपूती परंपरा उनकी शान और रानी पद्मावती की गौरव गाथा दिखाई गई है फिल्म भावनाओं से भरी है संजय लीला भंसाली का बेहतरीन निर्देशन फिल्म की किसी भी कड़ी में आपको बोर नही होने देगा।

शाहिद कपूर नें राजा रावल रतन सिंह के किरदार को बड़ी ही संजीदगी से निभाया है वहीं दीपिका को देख आपको उनमें रानी पद्ममावती की झलक साफ नज़र आएगी। तो खिलजी के किरदार के साथ रणवीर की भी जी तोड़ मेहनत उभर कर सामने आई है दमदार डॉयलॉग के अलावा खिलजी के गुलाम काफूर की अपने मालिक के प्रति इमानदारी और वफा भी देखने को मिली तो वहीं एक क्रूर शासक अपनी पूरी ताकत और सत्ता के होने के बाद भी एक रानी का प्यार हासिल करने में नाकामयाब रह जाता है और काफूर के आगे भावुक होकर पूछता है कि क्या उसके हांथ में प्रेम की लकीर ना होने के बाद भी खुदसे लकीर नही बनाई जा सकती। ऐसे कई डॉयलॉग आपका भरपूर मनोरंजन करेंगें फिल्म में घूमर गाने के साथ-साथ कई जगहों पर तुर्की और सूफी संगीत का भी मिला जुला संगम देखने को मिला यकीन मानिए दमदार स्क्रिप्ट और फिल्म के हर दृश्य आपके दिलो दिमाग पर गहरी छाप छोड़ते दिखाई देंगें 2 घंटे 44 मिनट की यह फिल्म फुल पैसा वसूल है।

 

 

 

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