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भारत में लगती है दूल्हों की बोली,पद के हिसाब से होती है सौदेबाजी जानें कहां है दूल्हों की मंडी

आपने सदियों से दहेज और दूल्हों को बेचने खरीदने की बातें सुनी होंगी कई बार कई जगह पर लड़के वालों को दहेज के नाम पर लड़की वालों को लूटते भी देखा होगा अमूमन फिल्मों और धारावाहिकों में भी लड़की के पिता को दूल्हा खरीदते और लड़के पिता को बड़ी शान से अपने बेटे को दहेज के नाम पर बेंचते देखा होगा। लेकिन इसके बाद भी आपको ये जानकर हैरानी होगी की भारत में आज के ज़माने में भी लड़के वाले लड़की वालों से शादी के लिए भारी भरकम रकम और मंहगी गाड़ियों की फर्माइश करते नज़र आते हैं। इतना ही नही आपको यकीन नही होगा की हमारे इसी देश में एक ऐसी जगह भी है जहां सब्जी, फलों की तरह ही दूल्हों की मंडी लगती है और उनकी बोली लगाई जाती है।

मधुबनी में लगती है दूल्हों की मंडी ( सौराठ सभा)

बिहार के मधुबनी में दूल्हों की मंडी ठीक वैसे ही लगती है जैसे कहीं फलों और सब्जियों की मंडी लगती है यहां मैथिली ब्राहम्णं सालों से इस मंडी का संचालन करते आ रहे हैं देश विदेश से यहां लड़कियों के पिता अच्छे और योग्य वर की तलास में आते हैं लड़कों पिता भी यहां आते हैं और फिर लड़के की योग्यता हैसियत और गुणों और सुंदरता के हिसाब से उसकी बोली लगाई जाती है।

700 सालों से चली आ रही है ये प्रथा

स्थानिय लोगों के मुताबिक ये प्रथा 700 साल पहले राजा हरि देव सिंह नें शुरू की थी सौराठ सभा को शुरू करने के पीछे राजा का उदेश्य दहेज प्रथा को खत्म करना था स्थानिय लोगों द्वारा मिली जानकारी और कुछ सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सन 1971 में यहां पर 1 लाख से भी ज्यादा लोग इकठ्ठा हुए थे लेकिन धीरे-धीरे अब लोगों की संख्या पहले से काफी कम हो गई है।

7 पीढियों का अंतर होना चाहिए

सौराठ में दुल्हों का ये मेला 9 से 10 दिन तक रहता है इसका मक्सद दहेज मुक्त भारत है लेकिन अब लोगों नें यहां आना काफी कम कि दिया है  आपको बता दें की दूल्हों की मंडी में मैथिली ब्राहम्ण इस बात की भी पुष्टि करते हैं की लड़का और लड़की में कम से कम 7 पीढियों का अंतर हो ताकी दोनों का गोत्र और नाड़ी एक समान ना हों।

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