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जब शाहरुख खान के पिता ने जिन्ना से ज्यादा महात्मा गांधी के सेकुलर भारत भरोसा जताते हुए पाकिस्तान छोड़ दिया । जाने पूरी कहानी

भारत विभाजन के दौरान ऐसे हजारों मुस्लिम परिवार थे, जिन्होंने पाकिस्तान को अपना वतन चुना और भारत छोड़कर चले गए थे। हालांकि ऐसे परिवारों की भी कमी नहीं है, जिन्होंने भारत को पाकिस्तान के मुकाबले तरजीह दी और हमेशा के लिए यहां बस गए। ऐसे ही परिवारों में से एक थी शाहरुख खान की फैमिली। बॉलीवुड के किंग खान के पिता ताज मोहम्मद खान कांग्रेस के लीडर थे। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के पेशावर में रहते थे, लेकिन जिन्ना के पाकिस्तान में उनका यकीन नहीं था और उन्होंने महात्मा गांधी के सेकुलर भारत भरोसा जताते हुए पाकिस्तान छोड़ दिया।

विभाजन के बाद ताज मोहम्मद खान ने पेशावर छोड़ दिया और दिल्ली चले आए थे। यहीं वह कांग्रेस कार्यकर्ता के तौर पर काम करते रहे। शाहरुख खान खुद कई बार इस बात को दोहरा चुके हैं कि उनके पिता कांग्रेस के कार्यकर्ता थे और विभाजन का तीखा विरोध किया था। वह धर्म के आधार पर नया देश बनाए जाने के खिलाफ थे। ऐसे में वह परिवार के साथ दिल्ली चले आए थे। ताज मोहम्मद खान का 1981 में निधन हो गया था। वह कैंसर से पीड़ित थे। पेशे से वकील रहे ताज मोहम्मद खान की विरासत पर शाहरुख खान गर्व करते रहे हैं।

शाहरुख खान के परिवार जैसी ही स्थिति दिलीप कुमार की फैमिली की भी थी। विभाजन से पहले ही मुंबई आकर बसे दिलीप कुमार के पिता गुलाम सरवर खान से पेशावर स्थित उनके परिजनों ने कहा था कि वे वापस आ जाएं। इस पर गुलाम सरवर खान ने कहा था कि अब हम बॉम्बे नहीं छोड़ेंगे।

भारत ही हमारा घर है। दिलीप कुमार ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में भी इसका जिक्र किया है। दिलीप कुमार 1947 में एक नवोदित सितारे थे। उनकी फिल्म ज्वार भाटा रिलीज हो गई थी और वह देविका रानी के बॉम्बे टॉकीज का हिस्सा थे।

यही नहीं शाहरुख और दिलीप कुमार के अलावा गीतकार और शायर साहिर लुधियानवी भी ऐसे कलाकार थे, जिन्होंने पाकिस्तान के बजाय भारत में रहना ठीक समझा था। वह तो 1950 के दशक में भारत आए थे, जब उनकी लेफ्ट समर्थक रचनाओं और बयानों के लिए उन्हें पाकिस्तान में समन जारी किए गए थे। मौजूदा दौर की बात करें तो अदनान सामी ऐसे कलाकार हैं, जिन्होंने पाकिस्तान छोड़ भारत का रुख किया था। भारत सरकार ने 2016 में उन्हें भारतीय नागरिकता प्रदान की थी।

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