Social Media: जाने Twitter पर क्यों ट्रेंड हो रहा है #MeTooUrbanNaxal
देश के कई हिस्सों में मंगलवार को हुई छापेमारी और गिरफ्तारी के बाद इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें रिमांड पर भेजने से इनकार कर दिया.
सभी गिरफ़्तार लोग अपने घर में नज़रबंद रहेंगे. अगली सुनवाई छह सितंबर को होगी.
जिन पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें वामपंथी विचारक वरवर राव, वकील सुधा भारद्वाज, मानवाधिकार कार्यकर्ता अरुण फ़रेरा, गौतम नवलखा और वरनॉन गोंज़ाल्विस जैसे नाम शामिल हैं. कुछ लोगों को घर पर नज़रबंद भी किया गया है.
ये सभी लोग अलग-अलग मौकों पर सरकार की आलोचना करते रहे हैं.
इन गिरफ्तारियों को लेकर सोशल मीडिया दो गट में बदल गया है कई इसे सही ठहरा रहे हैं तो कुछ इन गिरफ्तारियों की आलोचना कर रहे हैं कुल मिलाकर सोशल मीडिया पर एक युद्ध देखने को मिल रहा हैं. इनमें गिरफ्तारी को सही ठहराने वाले लोग भी शामिल हैं और गलत बताने वाले भी.
‘बुद्धा इन ट्रैफिक जाम’ फ़िल्म बना चुके विवेक अग्निहोत्री ने मंगलवार को एक ट्वीट किया.
I want some bright young people to make a list of all those who are defending #UrbanNaxals Let’s see where it leads. If you want to volunteer with commitment, pl DM me. @squintneon would you like to take the lead?
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) August 28, 2018
उन्होंने लिखा, ”मुझे कुछ ऐसे युवाओं की ज़रूरत है, जो ऐसी लिस्ट बना सकें जो #UrbanNaxals यानी शहरी नक्सलियों का बचाव कर रहे हैं. अगर आप इस काम में जुड़ना चाहते हैं तो मुझे बताएं.”
इस हैशटैग के जवाब में फ़ेक न्यूज़ का पर्दाफाश करने वाली वेबसाइट एल्ट न्यूज़ से जुड़े प्रतीक सिन्हा ने एक फ़ेसबुक पोस्ट लिखी.
#MeTooUrbanNaxal, what about you? pic.twitter.com/0y8lrz3IUo
— Pratik Sinha (@free_thinker) August 29, 2018
इस पोस्ट में प्रतीक ने लिखा, ”आप जानते हैं कि एंटी-नेशनल टर्म अब अस्तित्व में नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि हममें से ज़्यादातर लोगों ने अपने आप को एंटी-नेशनल बताते हुए इस टर्म को एक चुटकुले में बदल दिया. अब ये आपत्तिजनक नहीं, बस एक मज़ाक है. ऐसे में इन लोगों को एक नए टर्म की ज़रूरत है जो अर्बन नक्सल है. आइए इस टर्म को भी एक चुटकुले में बदलते हैं. #MeTooUrbanNaxal यानी मैं भी अर्बन नक्सल हूं. आप क्या हैं?”
#UrbanNaxal is the new Anti-National
The word "Anti-national" became a big joke and lost its actual meaning after ministers & trolls started using it for anyone and everyone mindlessly.
Same thing is happening with Urban Naxal. That's why #MeTooUrbanNaxal
— Dhruv Rathee (@dhruv_rathee) August 29, 2018
आपको बता दें की जब से ये गिरफ्तारियां हुई है तब से #MeTooUrbanNaxal ट्विटर पर टॉप ट्रेंड में है.
#SinghaBahini ensures Bail for Hindu Yodha's.
I on behalf of entire team of #SinghaBahini congratulate our Courageous activists of Raigunj (North Dinajpur) for focusing in Dharmic Activism and doing their work dedicatedly.
Villagers welcomed the Yodha's.
Bharat Mata Ki Jay.. pic.twitter.com/UVNk092Sv9— Devdutta Maji (President of SinghaBahini). (@MajiDevDutta) August 30, 2018
इस हैशटैग के साथ दोनों तरफ के लोग अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं.
Today is a funny day. #MeTooUrbanNaxal pic.twitter.com/0djtcBxBK6
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) August 29, 2018
पत्रकार सागरिका घोष ने विवेक अग्निहोत्री के अर्बन नक्सल टर्म को कहने का एक नया पहलू बताने की कोशिश की. उन्होंने ट्वीट किया है कि क्या ये फिल्मकार अपनी किताब का प्रमोशन कर रहे हैं. दरअसल विवेक अर्बन नक्सल नाम से एक किताब लिख चुके हैं.
ATS arrested Sanatan Sanstha member, But I didn't see #MeTooSanatanSanstha Trend.
After Anti India slogans in JNU, Liberals trended #IAmAntiNational.
After raids over links with Naxals or Koregaon Violence, Liberals trending #MeTooUrbanNaxal.
This is Left Ecosystem for you.
— Anshul Saxena (@AskAnshul) August 29, 2018
माना जाता है कि सरकार के ख़िलाफ़ हथियार उठाने वाले नक्सली ग्रामीण इलाकों और जंगली क्षेत्र में रहते हैं. लेकिन अर्बन नक्सल से यहां मायने शहरों में बसे उन लोगों से है, जो इन नक्सलियों से सहानुभूति रखते हैं.
I think. I debate. I read. I question. I dissent. I criticise. I emphatise. I protest. I probe. I exist. #MeTooUrbanNaxal
— amrita madhukalya (@visually_kei) August 29, 2018
अक्षय गुप्ता लिखते हैं, ”मुझे यकीन है कि अगर आज भगत सिंह होते तो वो भी इस लिस्ट में शामिल होते.”
@Babu_Bhaiyaa हैंडल से लिखा गया, ”बीते कुछ सालों में लोग ‘मैं भी अन्ना हूं’ से ‘मैं भी अर्बन नक्सली हूं’ तक पहुंच गए हैं. 2019 में अगर मोदी जीत गए तो ये लोग ‘मैं भी हाफिज़ सईद’ और 2023 में ‘मैं भी लादेन’ जैसे नारे लगा सकते हैं.”
In last few years so many ppl have gone from 'Mein Bhi Anna' to #MeTooUrbanNaxal. After Modi's 2019 win.. they will say 'Mein Bhi Haafiz'.. and by the end of 2023 they will be chanting #MeTooBinL@den.
— Paresh Rawal fan (@Babu_Bhaiyaa) August 29, 2018
All love and respect for those who are saying #MeTooUrbanNaxal but there are many out there who don’t really have the privilege of caste, religion, money or class, to even say this. They know if the hit list is *real*, they will be the ones picked first.
— Ashwaq M (@ashwaqM) August 29, 2018
अशफाक मसूदी ने ट्वीट किया, ”उन सभी लोगों को प्यार और सम्मान जो #MeTooUrbanNaxal के साथ अपनी बात कह रहे हैं. लेकिन ऐसे भी लोग हैं जो अपनी जाति, धर्म या आर्थिक स्थिति की वजह से ये बात भी नहीं कह सकते. वो बस इतना जानते हैं कि अगर कोई हिट लिस्ट बन रही है तो सबसे पहले उन्हें चुना जाएगा.”
https://twitter.com/YRDeshmukh/status/1034708137859850240
यशवंत देशमुख ने ट्वीट किया, ”दोस्तों, मुझे बताया गया कि इमरजेंसी जैसा माहौल है. लोगों को बोलने की इजाज़त नहीं है. आप पीएम की आलोचना नहीं कर सकते. सरकार के ख़िलाफ़ भी कुछ नहीं बोल सकते. और हाल ये है कि #MeTooUrbanNaxal ट्विटर पर टॉप ट्रेंड है.”
https://twitter.com/akashbanerjee/status/1034705148444962816
When Maharashtra ATS arrested Sansthan Sanstha people for a terror plot, Hindus didn’t start a #MeToo trend.
Left Terror is BY FAR the #1 one killer in India. #MeTooUrbanNaxal shows how that terror has an ecosystem of ideological enablers. https://t.co/uq6Fz27pSD— Sankrant Sanu सानु संक्रान्त ਸੰਕ੍ਰਾਂਤ ਸਾਨੁ (@sankrant) August 29, 2018
https://twitter.com/SalmanSoz/status/1034664306518962177
https://twitter.com/mvmeet/status/1034707821382840320