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Review : साहब बीवी और गैंगस्टर-3, नई बोतल में पुरानी शराब, जिसमे नशा नही है.

तिग्मांशु धुलिया के डायरेक्शन में बनी साहब बीवी और गैंगस्टर-3 फिल्म की कहानी रानी माधवी देवी जिसका रोल माही गिल ने किया इसके इर्द-गिर्द घूमती है. जिन्होंने अपने किरदार को इस बखूबी से निभाया है कि आप बार-बार उन्हें ही देखना चाहते हैं, इसके बाद आदित्य प्रताप सिंह जिम्मी शेरगिल आते हैं, जिन्होंने अपने राजसी रुतबे और खोए प्यार को पाने का बखूबी रोल निभाया है. इसके साथ ही कबीर के रोल में संजय दत्त ने एक गैंगस्टर से ज्यादा समझदार अपराधी का रोल निभाया है. जो अपने गुस्से और दिल के हाथों मजबूर होकर अक्सर मुश्किलों में पड़ जाता है.

इस रोल को संजय ने बखूबी निभाया है, हालांकि कई जगह वह थोड़ा निराश भी करते नजर आए हैं. वे  इस फिल्म में अपना ही प्रचार कर रहे हैं. इसके साथ ही जहां ये तीनों अपने रोल के साथ न्याय करते नजर आए हैं, वहीं फिल्म की अन्य दो ऐक्ट्रेसेस के लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता है. मोना के किरदार में चित्रागंदा सिंह बेशक बहुत ही खूबसूरत नजर आई हैं, लेकिन अपने इंट्रो सीन को छोड़कर वह फिल्म में अपनी कोई खास छाप नहीं छोड़ पाई हैं. दूसरी ओर सोहा अली खान के टैलंट के साहेब की दूसरी बीवी रंजना के रोल में एकदम बर्बाद किया गया है. इसके अलावा कबीर बेदी, नफीसा अली और दीपक तिजौरी बूंदीगढ़ के राजपरिवार के तौर पर सपोर्टिंग रोल में फिट नजर आए हैं.

पिछली दो कहानियों की तर्ज पर साहब बीवी और गैंगस्टर-3 बढ़ी है. वही धोखे, वासना, हत्याएं और गोलियों की धांय-धांय हैं. माही गिल भले अदाओं से थोड़ा प्रभावित करें परंतु चित्रांगदा सिंह और सोहा अली खान के हिस्से कुछ खास नहीं है.

 तिग्मांशु धुलिया के डायरेक्शन में बनी ये फिल्म 90  दशक की लगती है और यही बात फिल्म का ज्यादा कचरा कर देती है डायरेक्शन  बहुत ही कमजोर है, मेकिंग भी कुछ कुछ वैसी है. आप कुछ नए और बेहतर की उम्मीद नहीं रखे तो ही पैसे फूंकने जाएं.

यही नही इस फिल्म को पब्लिक भी पसंद नही कर रही हमने फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखने वाले दर्शकों का इंटरव्यू लिया है.आप  इस विडियो को यहाँ देख सकते हैं.

रेटिंग : 2.5 स्टार

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