#MeToo की वजह से गयी जान, FTII के पूर्व टीचर की मिली लाश
कोलकाता के 48 वर्षीय डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर अर्घ्य बसु अपने अपार्टमेंट में मृत पाए गए. जांचकर्ताओं द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक वह पिछले काफी वक्त से तनाव से जूझ रहे थे और उन्होंने खुद को फांसी लगा ली. सर्वे पार्क पुलिस स्टेशन के एक पुलिस ऑफिसर ने बताया, “संतोषपुर इलाके में रह रहा अर्घ्य 1 मार्च को अपने फ्लैट में फंदे पर लटकता पाया गया. अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया.”
My deepest sympathies to Arghya Basu's loved ones. It distresses me and I'm sure others working towards safer workplaces when such a thing happens. I think about all the consequences that arise out of something like this and how defeating it is all around – for men and women.
— Sandhya (@TheRestlessQuil) March 5, 2019
अधिकारी ने बताया कि जांचकर्ताओं ने बसु के पड़ोसियों से बात की और पता चला कि वह भारी तनाव से जूझ रहा था. हालांकि उसके घर से जांचकर्ताओं को कोई भी सुसाइड लेटर नहीं मिला है. उनकी लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है. बसु FTII (Films and Television Institute of India) के पूर्व टीचर थेऔर उन पर एक चर्चित फिल्ममेकर ने सेक्सुअल हरासमेंट का आरोप लगाया था.
This, for me, highlights more than anything else how ICCs are consistently failing. That women took the extreme step of public naming because they had no faith in redressal systems. FTII cleared Basu without a probe on the technicality that there was no official complaint.
— Sandhya (@TheRestlessQuil) March 5, 2019
फिल्ममेकर ने #MeToo के साथ लिखी गई अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में बसु के नाम का जिक्र किया था. #MeToo मूवमेंट को ट्विटर पर लाने वाली पत्रकार संध्या मेनन ने बसु की मौत पर लिखा, “अर्घ्य बसु के करीबियों को मेरी सहानुभूति. इसने मुझे आहत किया है और जाहिर है उन लोगों को भी जो सुरक्षित कार्यक्षेत्र की ओर काम कर रहे हैं.”
Furthermore, that there were no complaints ever at all. Do you see the cycle?
ICCs are failing consistently and enormously in implementation as well as compliance. It is *only* through an EFFECTIVE ICC that both men and women get justice.
And the reason for #MetooIndia ++
— Sandhya (@TheRestlessQuil) March 5, 2019
मेनन ने लिखा, “मैं इस सबके बारे में और इनके नतीजों के बारे में सोचती हूं और लगता है कि यह किस तरह महिला और पुरुषों की जिंदगियों को प्रभावित कर रहा है. मेरे लिए यह उस चीज को हाइलाइट करता है कि कैसे ICC फेल हो रहे हैं. उस महिला ने सबसे कड़ा कदम लिया था अपने नाम को सबके सामने उजागर करके ताकि वह सिस्टम से लड़ सके.