बॉलीवुड का यह एक्टर मरने से पहले बन गया था हड्डिया का ढांचा, हालत ऐसी की पहचाना भी नहीं गया
बॉलीवुड में किसी का नाम तब तक याद किया जाता है जब तक वो गॉसिप बना रहता है. यानी की मीडिया में बना रहता है चाहे अच्छी बातों से या फिर किसी बुरी टिप्पणी के कारण. ऐसे में अनेक बॉलीवुड हस्तियाँ अपने आप को हमेशा टीवी पर दिखाने के लिए कुछ ना कुछ गॉसिप करते रहते है. चाहे अपने बारें में कुछ ख़ास बताना हो या फिर कुछ ख़ास करना हो, क्योंकि वो अपने आपको मीडिया में बनाये रखते है. और जो मीडिया से दूर चले गये किसी ने उनकी जात भी नहीं पूछी, ऐसा ही हुआ एक बॉलीवुड विलेन के साथ. अनेक फिल्मो में विलन बनने वाले एक स्टार की जब मौत हुई तो लोगों ने उन्हें पहचाना तक नहीं. आइये जानते है उसके बारें में-
रामी – शायद आपने इस चेहरे को पहले कहीं देखा है. जैसे ही अपने इस तस्वीर को देखा यह जरुर सोचा होगा. हम आपको बता दें की यह बॉलीवुड के विलेन रह चुके हैं. रामी का जन्म 1 जनवरी 1959 को आंध्रप्रदेश में हुआ था. आपको शायद पता ना हो की रामी की पूरा नाम गंगासानी रामी रेड्डी था.
फ़िल्मी करियर – रामी का फ़िल्मी करियर बहुत ही शानदार रहा था. तेलुगु फिल्म से पहचान बनाने वाले रामी ने बॉलीवुड में भी बहुत अच्छा मूकाम हासिल किया था. रामी ने बॉलीवुड और तेलुगु सिनेमा को बहुत अच्छी अच्छी फ़िल्में दी और बहुत ही ज्यादा पोपुलर विलेन के रूप में पहचान पाई.
250 से ज्यादा फ़िल्में की थी – रामी ने अपने करियर में 250 से ज्यादा फिल्मों में काम किया था. उन्ही फिल्मों में से कुछ यह यादगार फ़िल्में भी है , वक़्त हमारा है, जीवन युद्ध , कालिया, लोहा , क्रोध , सौतेले जैसी फिल्मो में काम किया था.
करियर को लगी नजर – अच्छे खासी बुलंदी हासिल करने के बाद रामी का करियर उस वक्त डूबता नजर आने लगा जब वो बीमार रहने लगे. अपनी बीमारी के कारण रामी लोगों के सामने जाने से भी डरने लगे और ऐसे ही उनका फिल्मों से ही नहीं बॉलीवुड से भी नाता टूट गया.
दुबले पतले हो गये थे रामी – रामी अपने विलेन रूप और भारी भरकम शरीर से जाने जाते थे. रामी को जब लोगों ने दुबले शरीर में देखा तो सब अचरज में पड़ गये इतना ही नहीं लोगों ने इन्हें पहचाना तक नहीं था. बाद में पता चला की रामी किसी बीमारी से झुंझ रहे है.
2011 में कह दिया अलविदा – रामी ने 14 अप्रेल 2011 को दुनिया को अलविदा कह दिया था. ऐसे में उनके शरीर में सिर्फ हड्डियाँ ही बची थी. ऐसा लगता था की हड्डियों के ढांचे ने कुछ साल चलाकर गुजारे हो.