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'सुख तो बेवफा है आता है जाता है...' | ये हैं कादर खान के 10 दमदार डॉयलाग्स
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‘सुख तो बेवफा है आता है जाता है…’ | ये हैं कादर खान के 10 दमदार डॉयलाग्स

नए साल का पहला दिन बेहद दुखद साबित हुआ. लंबे वक्त से बीमार चल रहे मशहूर अभ‍िनेता कादर खान का कनाडा में न‍िधन हो गया. उनके बेटे सरफराज खान ने निधन की पुष्‍ट‍ि की है. कादर खान ने ह‍िंदी स‍िनेमा में 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. 200 फिल्मों का लेखन किया. 70 के दशक में जाने माने स्क्रीन राइटर थे कादर खान.अमिताभ बच्चन के सुपरस्टार बनने में कादर खान का बड़ा योगदान माना जाता है. कादर खान के लिखे डॉयलाग्स को जब अमिताभ पर्दे पर बोलते तो तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा सिनमाहॉल गूंज जाता. आइए उन 10 दमदार डॉयलाग्स के जरिए कादर को याद करते हैं.

1 ‘बचपन से सर पर अल्लाह का हाथ और अल्लाहरख्खा है अपने साथ, बाजू पर 786 का है बिल्ला, 20 नंबर की बीड़ी पीता हूं और नाम है ‘इकबाल’.’ – फिल्म कुली, 1983

2. ‘सुख तो बेवफा है आता है जाता है, दुख ही अपना साथी है, अपने साथ रहता है. दुख को अपना ले तब तकदीर तेरे कदमों में होगी और तू मुकद्दर का बादशाह होगा.’ – मुकद्दर का सिकंदर, 1978 (फकीर बाबा बने कादर खान जिंदगी का मर्म अमिताभ को समझाते हैं.

3 ‘मालिक मुझे नहीं पता था कि बंदूक लगाए आप मेरे पीछे खड़े हैं. मुझे लगा, मुझे लगा कि कोई जानवर अपने सींग से मेरे पीछे खटबल्लू बना रहा है.’- हिम्मतवाला (1983). अमजद खान के हंसोड़ मुंशी का किरदार निभाने वाले कादर को इस फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन का फिल्मफेयर मिला था.

4. ‘आप हैं किस मर्ज की दवा, घर में बैठे रहते हैं, ये शेर मारना मेरा काम है? कोई मवाली स्मग्लर हो तो मारूं मैं शेर क्यों मारूं, मैं तो खिसक रहा हूं और आपमें चमत्कार नहीं है तो आप भी खिसक लो.’ – मिस्टर नटवरलाल, 1979. फिल्म में अमिताभ ने भगवान से बात करते हुए यह डॉयलाग्स कहा था.

5 ‘ऐसे तोहफे (बंदूकें) देने वाला दोस्त नहीं होता है, तेरे बाप ने 40 साल मुंबई पर हुकूमत की है इन खिलौनों के बल पर नहीं, अपने दम पर.’ – अंगार (1992)

6. ‘दारू पीता नहीं है अपुन, क्योंकि मालूम है दारू पीने से लीवर खराब हो जाता है, लीवर.’- सत्ते पे सत्ता (1982), यह डॉयलाग्स अमिताभ शराब के नशे में बोलते हैं.

7. ‘विजय दीनानाथ चौहान, पूरा नाम, बाप का नाम दीनानाथ चौहान, मां का नाम सुहासिनी चौहान, गांव मांडवा, उम्र 36 साल 9 महीना 8 दिन और ये सोलहवां घंटा चालू है.’ – अग्निपथ (1990)

8. ‘तुम्हें बख्शीश कहां से दूं, मेरी गरीबी का तो ये हाल है कि किसी फकीर की अर्थी को कंधा दूं तो वो उसे अपनी इंसल्ट मान कर अर्थी से कूद जाता है.’- बाप नंबरी बेटा दस नंबरी (1990) में चालाक ठग का किरदार निभाने वाले कादर का एक मशहूर सीन है यह.

9. ‘कहते हैं किसी आदमी की सीरत अगर जाननी हो तो उसकी सूरत नहीं उसके पैरों की तरफ देखना चाहिए, उसके कपड़ों को नहीं उसके जूतों की तरफ देख लेना चाहिए.’- हम (1991) में कादर खान का डबल रोल था और आर्मी कर्नल के किरदार में यह डायलॉग उन्होंने बोले थे.

10 कादर खान ने कहा था, ‘आज की फिल्मों में सबकुछ बेस्ट हो गया है, कलर, एक्टिंग…लेकिन जुबान बहुत खराब हो गई है. आज से 15-20 साल पहले मैंने गलत भाषा इस्तेमाल की फिल्मों में, वो कवायद ग्रैमर(व्याकरण) बन गई और आज तक इस्तेमाल हो रही है. मैं सोचता हूं कि वापस आऊंगा और फिर से इसे ठीक करूंगा…मैं आऊंगा करूंगा और फिर इस दुनिया से चला जाऊंगा… ‘

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