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एक वक्त ऐसा था जब धर्मेन्द्र को ईसबगोल खाकर अपनी भूख मिटानी पड़ी थी, पढ़े
बस या ट्रेन का सफर बहुत महंगा था – धर्मेन्द्र बताते हैं की उस जमाने में और मेरे लिए तो बस या ट्रेन का सफर बहुत महंगा था। एक एक पैसा बचाने के लिए मैं मीलों पैदल चलता था। कभी कभी तो प्लेटफोर्म पर ही सो जाया करता था। उन्होंने बताया की मेरे साथ बहुत घटना घटित हुई है। उसी में से एक घटना का उन्होंने जिक्र किया।
भूख इतनी लगी हुई थी खा गया ईसबगोल – धर्मेन्द्र बताते है की शुरूआती दिनों में पुरे दिन काम की तलाश में भटकता रहता था। ऐसे में पैदल चलने के कारण भूख भी बहुत लग जाती थी। वो बताते हैं की एक बार मैं रूम पर आया और मुझे बहुत तेज भूख लगी हुई थी। उस वक्त मेज पर पड़ा ईसबगोल नजर आया। मैंने अंधाधुध वो खाना शुरू कर दिया। उसके बाद मेरे साथ क्या हुआ मैं आपको नहीं बता सकता।