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सेक्रेड गेम्स में न्यूड सीन देने वाली एक्ट्रेस ने अपने दम पर बदल डाली इस गांव की रंगत

हाल ही में नेट फिलिक्स की वेब सीरीज में न्यूड सीन देने वाली एक्ट्रेस राजश्री देश पांडे काफी चर्चा में रही. राजश्री एक बार फिर से चर्चा में है इस बार किसी फिल्म या न्यूड सीन के लिए नहीं बल्कि राजश्री ने महाराष्ट्र  के एक गाँव की पूरी तरह से काया पलट ही कर दी.

किसान-परिवार में जन्मीं अदाकारा का बचपन उसी माहौल में बीता है. राजश्री के मुताबिक, उनके पूर्वज किसान थे। औरंगाबाद के पास भोकरदन में उनके परिवार की कपास की खेती थी. देखते ही देखते उस जगह पानी की कमी इतनी बढ़ गई कि उनके पिता को अपनी जमीन बेचकर काम की तलाश में औरंगाबाद जाना पड़ा. भले ही उनके पिता सरकारी कर्मचारी रहे, लेकिन उन्होंने बचपन में किसानोंं की जिंदगी और समस्याओं को बहुत करीब से देखा है.

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पुणे के सिम्बायोसिस कॉलेज से लॉ की पढ़ाई करने वाली राजश्री ने महज 17 साल की उम्र में काम करना शुरू कर दिया था। कई सालों तक दूसरों के लिए काम करने के बाद साल 2003 में राजश्री ने ज़ार कंटेंट नाम की एक एडवरटाइजिंग कंपनी शुरू की। देखते ही देखते उनका काम चल पड़ा और वो अपने घर-परिवार को हर सुख-सुविधा देने में कामयाब रहीं.

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2015 में जब राजश्री ने महाराष्ट्र के किसानों द्वारा की जा रही लगातार आत्महत्या के बारे में सुना तब उन्होंने किसानों की भलाई के लिए कुछ खास करने की ठानी।

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सबसे पहले वे परभणी, बीड, लातूर, जालना आदि जैसे गांवों के दौरे पर गईं जहां उनके रिश्तेदार रहते हैं। वहां उन्हें किसानों की कई ऐसी समस्याओं के बारे में पता चला जिन पर ज्यादा बात तक नहीं की जाती।

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राजश्री के अनुसार, किसानों के लिए कई परियोजनाएं तो चल रही थीं, लेकिन वे किसानों की मूल परेशानियां दूर करने में असक्षम थीं। ऐसे में राजश्री ने स्वयं किसानों की मदद करने का मन बनाया.

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साल 2015 में राजश्री महाराष्ट्र के पंढरी नामक गांव के दौरे पर गईं। वहां लोगों की जिंदगी और परेशानियां देख मानो उनका दिल भर आया। उस गांव में इस कदर सूखा था कि लोगों को बूंद-बूंद के लिए मीलों सफर करना पड़ता था। ऐसे में अदाकरा ने 2000 लोगों की आबादी वाले इस छोटे से गांव में काम शुरू करने का फैसला लिया। राजश्री चाहती तो पानी के टैंकर की व्यवस्था करवा सकती थीं, लेकिन वो टेम्पररी नहीं बल्कि परमानेंट समाधान चाहती थीं।

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राजश्री ने फिल्म जगत के अपने तमाम दोस्तों से इस बारे में बात की और उनकी मदद से कुछ पैसे इकट्ठे कर लिए। साथ ही उनके दोस्त मकरन्द अनसपुरे ने उन्हें पोकलैंड मशीन प्रदान कर दी, जिससे गांव में कुंआ खोदा जा सके। धीरे-धीरे गांव के लोग भी राजश्री के साथ जुड़ने लगे। देखते ही देखते राजश्री और लगभग 50 गांववालों ने मिलकर बारिश के पानी के संरक्षण पर काम करना शुरू कर दिया।

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कुछ ही दिनों में गांव का कुआं बनकर तैयार था। जब बारिश का समय आया तो उनकी मेहनत रंग लाने लगी। दूसरी ही बारिश में वो कुआं पूरा भर गया और गांववालों के पास पूरे साल के लिए पर्याप्त पानी की व्यवस्था हो गई।

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पानी की समस्या हल होते ही राजश्री को एक और बड़ी समस्या नज़र आने लगी, वे थी शौचायल की समस्या। गांववालों को खुले में शौच करने की आदत थी.

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राजश्री का कहना था अगर वे चंदा इकठ्ठा करके शौचालय बनवा भी देतीं तो लोगों को उसकी उतनी कदर नहीं होती, जितनी अपने हाथों से की गई मेहनत की करते हैं। इसलिए राजश्री ने गांववालों को खुद ही शौचालय बनवाने के लिए प्रेरित किया.

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राजश्री जानती थीं पंढरी की तरह ही अन्य गांवों को भी उनकी जरुरत है। जिसके चलते उन्होंने ‘नभांगन’ नामक अपने एनजीओ को पंजीकृत करवा लिया। इस एनजीओ के जरिए वे अलग-अलग गांवों के लिए काम करती रहती हैं।

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