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जाने क्यूँ आत्म हत्या करना चाहते थे कैलास खेर, आज हैं टॉप के सिंगर

बॉलीवुड में सूफी गानों से पहचान बनाने वाले कैलाश खेर का जन्म 7 जुलाई 1973 को उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुआ था केवल 4 साल की उम्र से ही कैलाश खेर ने गाना शुरू कर दिया था हालांकि बचपन में अपनी आवाज से सबका मन मोह लेने वाले कैलाश के लिए आगे की राह आसान नहीं थी.

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जब उन्होंने गायकी को अपनी जिंदगी बनाने की ठानी तो उनके परिवार ने इसका विरोध किया लेकिन कैलाश भी कहां हार मानने वाले थे. उन्होंने 14 साल की कच्ची उम्र में संगीत के लिए अपना घर छोड़ दिया था.संघर्ष के दिनों में वो जगह-जगह जाकर लोक संगीत के बारे में पढ़ने जानें लगे.

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कैलाश के लिए इतनी कम उम्र में इस रास्ते पर निकलना आसान नहीं था. अपना खर्च निकालने के लिए कैलाश खेर ने बच्चों को संगीत का ट्यूशन देने का काम शुरू कर दिया। हर बच्चे से वो 150 रुपये फीस लेते थे और इसी से अपना खर्च निकालते थे.

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इस दौरान ऐसा भी समय था जब कैलाश का जीवन अंधेरे में डूब गया और उम्मीद की कोई किरण नजर नहीं आ रही थी. साल 1999 में उन्होंने अपने दोस्त के साथ हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट बिजनेस शुरू किया. कैलाश और उनके दोस्त को इसमें भारी नुकसान हुआ. जिसके बाद कैलाश ने आत्महत्या तक की कोशिश की थी. जब उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझा तो उन्होंने ऋषिकेश का रुख किया. ऋषिकेश में एक आश्रम में रहे. याह कुछ साल रहने के बाद वो मुंबई चले गये

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साल 2001 में कैलाश मुंबई पहुंचे यहां गुजारा करने के लिए उन्हें गायकी के जो ऑफर मिलते उसे तुरंत अपना लेते. उनके पास स्टूडियो जाने के पैसे नहीं होते थे. कैलाश के लिए ये शहर नया जरूर था लेकिन संगीत के जूनून ने उन्हें इस मुश्किल दौर में हिम्मत दी. कैलाश की जिंदगी में उम्मीद की किरण तब नजर आई जब वो म्यूजिक डायरेक्टर राम सम्पत से मिले और उन्होंने कैलाश को एड में जिंगल्स गाने का मौका दिया. उन्होंने पेप्सी से लेकर कोका कोला जैसे बड़े ब्रान्ड्स के लिए जिंगल्स गाए.

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कैलाश खेर को पहचान मिली ‘अल्लाह के बंदे’ गाने से. इस गाने की लोकप्रियता ऐसी रही कि इसके बाद कभी उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. बॉलीवुड में उन्होंने ‘रब्बा’, ‘ओ सिकंदर’ और ‘चांद सिफारिश’ जैसे गाने गाए हैं इसके अलावा कैलास खेर कई अवार्ड जीत चुके हैं

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