Fanney khan Review : सपना देखना और उसे किसी भी कीमत पर पूरा करना यही कहानी है फन्ने खान की.
अक्सर फन्ने खान हमारे आस पास मिल जाते हैं जो की किसी गली या नुक्कड़ में होते हैं. ऐसे ही एक गली या कहें तो चौल का फन्ने खान है अनिल कपूर जो की खुद एक सिंगर रहता है और वो मुहमद रफ़ी बनाना चाहता था मगर उसका सपना कभी पूरा नही होता, और जब उसकी बेटी पैदा होती है तो वो अपनी को बेटी लता मंगेशकर बनाना चाहता है. और इसलिए वो अपनी बेटी का नाम लता रखता है.
फिर जब लता बड़ी हती है है तो कैसे वो एक अच्छी सिंगर बनटी है लेकिन ओवरवेट होने के कारण स्टेज फ्रेंडली नहीं है. लता को लगता है कि उसे पिता ने उसके लिए जो सपना देखा है उसके पूरा होने का कोई चांस नहीं है क्योंकि किसी को भी यहां तक की उसकी मां यानिकी दिव्या दत्ता को भी नहीं लगता कि वो टैलेंटेड है. उसकी आइडियल है सेक्सी सिंगर बेबी सिंह (ऐश्वर्या राय) लेकिन वो उसके जैसा बनने के बारे में सोच भी नहीं सकती. अपने सपनों को पूरा करने को लेकर उस पर दबाव डालने की वजह से पिता से नफरत करती है. साथ ही किसी से भी सपोर्ट नहीं मिलने की वजह से भी फस्ट्रेट हो जाती है.
तब फन्ने अपने बेटी की किस्मत बदलने के लिए कुछ बड़ा करने का डिसाइड करता है और अपने दोस्त अधीर (राजकुमार राव) को बेटी की मदद के लिए कहता है. दोनों किसी तरह ऐश्वर्या राय को किडनेप कर लेते हैं इसके बाद इन सबकी लाइफ कैसे बदल जाती है यही फन्ने खान की कहानी है
फिल्म की बात करेन तो पहला हाफ ठीक ठाक है हालाँकि कई जगह आप बोर होते हैं और गाने लगातार आते रहते हैं जो की कहानी को रोकते भी हैं और सुनने में अच्छे भी नही लगते हैं सिर्फ अमित त्रिवेदी का गाया हुआ गाना मेरे अच्छे दिन कब आयेंगे ही ही अच्छा है.
सेकंड हाफ फ़ास्ट तो है मगर कहानी कई जगह भटक जाती है, मगर क्लाईमेक्स में में कहानी सम्भल जाती है.बात अगर एक्टिंग की करें तो अनिल कपूर ने अपने रोल को बखूबी निभाया है, साथ ही अनिल कपूर की बेटी एक रूप में पीहू सैंड ने भी अचछा काम किया है क्यूंकि कहानी उन्ही के इर्द गिर्द घुमती है साथ अनिल कपूर की बीवी के रूप में दिव्या दत्ता ने भी शान दार काम किया है
और अब राज कुमार राव की बात करें तो वो इस फिल्म की जान है जब जब वो पर्दे पर आते हैं तो आपके चहरे पर मुस्कान आ जाती है, राज कुमार ने एक बार फिर साबित कर दिया की वो जितने शानदार ढंग से गंभीर रोल कर सकते हैं उसी तरह वो कॉमेडी भी कर सकते हैं, इस फिल्म में उनके लिए ज्यादा कुछ था नही मगर फिर भी जितना उनका रोल था उसे उन्होंने ईमानदारी से निभाया है.
वहीँ ऐश्वर्या राय की बात करें तो ऐश को पर्दे देखना एक शुकून भरा होता है मगर यहाँ ऐश के लिए ज्यादा कुछ करने को था नही क्यूंकि उनके रोल पर सही ढंग से काम नही किया गया
जैसे कि बेबी सिंह की कोई रियल बैकस्टोरी नहीं है और उनकी लाइफ में केवल उनका एक मैनेजर है जो बस यही चाहता है कि एक रिऐलिटी शो में स्टेज पर वह (बेबी) वॉरड्रोब मैलफंक्शन का शिकार हो जाए
और कैसे इतनी बड़ी सुपर स्टार किडनेप हो गयी और कोई उसे ढूंड भी नही रहा है ये बात पचती नही है और कैसे इतनी बड़ी स्टार राज कुमार राव को चाहने लगते है जो फक्ट्री में काम करने वाला लड़का है इनके बीच की रोमांटिक chemistry बन नही पायी हालाँकि इनके बीच कॉमेडी सीन अच्छे हुए हैं
बात अगर डायरेक्शन की करें तो अतुल मांजेरकर के ये पहली फिल्म है तो उनका डायरेक्शन ठीक ठाक है हालाँकि वो कहानी पर और कम कर सकते थे साथ स्क्रीन प्ले को और टाइट किया जा सकता है जिससे दर्शक बीच में बोर न हो.
ये एक म्यूजिकल फिल्म है मगर इसमें दो ही गाने अच्छे हैं एक अच्छे दिन कब आयंगे और दूसरा मोनाली ठाकुर का गाया हुआ मेरे जैसा मैं तेरे जैसा तू और गाने भी मीनिंग फुल लिरिक्स की वजह से अच्छे लगते हैं और इसका क्रेडिट इरशाद कामिल को जाता है जिन्होंने इस फिल्म के गाने लिखे हैं
कुल मिला के एक एवरेज फिल्म है जो एक बार देखी जा सकती है, इस हफ्ते है तीन फिल्म रिलीज हुई है जिसकी वजह से इसके कारोबार पर असर तो पड़ेगा
रेटिंग : 2.5 star