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बेहतरीन कहानी है अक्षय कुमार की फिल्म पैडमैन , पढ़ें फिल्म का रेव्यू
Hindi

भावनाओं से भरपूर है फिल्म पैडमैन, अक्षय कुमार की दमदार एक्टिंग आपको उत्साह से भर देगी

बॉलीवुड खिलाड़ी अक्षय कुमार हमेशा ही अपने अलग किरदार के लिए जाने जाते हैं अक्षय को लोग यूं ही नही बॉलीवुड का नेशनल हीरो कहते अक्की सचमुच में नेशनल हीरो हैं इतना ही जिस तरह से हॉलीवुड में बैटमैन, सुपर मैन और आयरन मैन हैं वैसे ही इंडिया में पैडमैन है। यह बात अक्षय की फिल्म पैडमैन देखने के बाद मै कह सकती हूं अक्षय कुमार सच में बॉलीवुड के पैड मैन हैं। जानिए क्या है फिल्म पैडमैन की कहानी और फिल्म की खास बातें

पत्नी की चिंता बनाती है लक्ष्मीकांत चौहान को दुनिया का पहला पैड मैन- अक्षय कुमार की फिल्म पैडमैन के ट्रेलर से ही आपको फिल्म की कहानी के विषय का अंदाज़ा लग गया होगा फिल्म अरूनांचलम मुर्गनाथम के संघर्ष और और अविष्कार की कहानी है। 8 वीं पास लक्ष्मी अपनी दो कुवांरी बहनों और मां के साथ अपने एक छोटे से घर में रहता है फिल्म की शुरूआत में लक्ष्मी और गायत्री की शादी हो जाती है और गायत्री की जिंदगी में आने के बाद लक्ष्मी को महिलाओं के हर महीने होने वाले पीरियड्स के बारे में पता चलता है। लक्ष्मी अपनी पत्नी को रस्सी पर साड़ी सुखाते देखता है। साड़ी के अंदर लक्ष्मी एक गंदा कपड़ा छुपाने की कोशिश करती है जिसे लक्ष्मी देख लेता है लक्षमी हैरान रह जाता है और कहता ही कि इस गंदे कपड़े से मै अपनी सायकल भी साफ नही कर सकता तुम इसे कैसे अपने शरीर के लिए इस्तेमाल कर सकती हो। 

लोहे की एक फैक्ट्री में काम करने वाला लक्ष्मी शुरूआत से हर समस्या का समाधान ढूंढने में विश्वास करता है और विज्ञापनों देखे गए पैड को पत्नी के लिए खरीदने के लिए मेडिकल शॉप पर जाता है। एक गरीब परिवार का लक्ष्मी अपनी पत्नी को 55 रूपए का पैड लेकर आता है लेकिन पत्नी को यह चीज़ इतनी महंगी लगती है की महीने के दूध घी और दही भी रोकना पड़ेगा। लक्ष्मी को एक तरफ पत्नी बहन और गावों की औरतों की जिंदगी की फिक्र होती है तो वहीं दूसरी तरफ समाज में महिलाओं की यह मासिक समस्या समाज में शर्म का विषय मानी जाती है। जिसके बारे में कोई भी बात नही करना चाहता। ऐसे में लक्ष्मी एक सस्ता पैड बनाने की सोचता है लेकिन उसकी यह कोशिश उसे उसके परिवार, पत्नी और गांव सबसे दूर कर देती उसे गांव छोड़ना पड़ता है और फिर वह शहर में आर्थिक तंगी से जुझते हुए भाषा की कमजोरी से लड़ते हुए हर हाल में अपने लक्ष्य की ओर बढता जाता है लक्ष्मी के सपनों को पंख देती है परी (सोनम कपूर)

किरदारों की एक्टिंग और शानदार डॉयलॉग डिलेवरी

अक्षय कुमार के कई डॉयलॉग आपको ठहाके लगाने पर मजबूर कर देंगें तो वहीं दूसरे ही पल गायत्री के लिए उनका प्यार और उनकी तड़प आपको आंखों में आंसू भर देगी अगले ही पल उनके मजबूत इरादे आपको नई उम्मीदों और आशाओं से भर देंगें लक्ष्मीकांत शहर में आने के बाद सस्ते पैड बनाने की बजाय सस्ती पैड बनाने वाली मशीनें बनाना शुरू कर देता है ताकी 2 रूपए में मिलने वाला पैड देश की हर उस लड़की और महिला तक पहुंचे जो पैड यूज़ करने वाली 12 प्रतिशत की महिलाओं की कैटेगरी में शामिल होने से आज भी दूर हैं। लक्ष्मी का संघर्ष आखिरकार कारगर साबित होता है और परी के सहयोग से वो विदेश पहुंचता है और वहां भी इसकी एहमियत लिंगलिश में समझा के आता है। फिल्म एक अच्छे मैसेज के साथ खत्म होती है अमिताभ का छोटा सा कैमियो भी काफी महत्वपूर्णं दिखाई दिया।

फिल्म की कुछ अन्य खास बातें

पा और चीनी कम जैसी फिल्मों का निर्देशन करने वाले आर बल्की नें बेहतरीन निर्देशन किया है

अमित त्रिवेदी का संगीत और मिका सिंह अरिजीत सिंह के गाने फिल्म की कहानी में चार चांद लगा देते हैं।

अक्षय कुमार, सोनम कपूर और राधिका आप्टे की एक्टिंग के साथ ही अन्य किरदारों नें भी बेहतरीन अभिनय का परिचय दिया है।

रेटिंग्स – मै अपनी तरफ से फिल्म को 5 में से 4 रेटिंग्स देना चाहूंगी।

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