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यहां बच्चे का रंग गहरा करने के लिए गर्भवती महिला को पिलाया जाता है खून जानें
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यहां बच्चे का रंग गहरा करने के लिए गर्भवती मां को पिलाया जाता है खून

एक महिला का गर्भवति होना बड़े सौभाग्य की बात मानी जाती है गर्भावस्‍था के दौरान जच्चा की हर तरह से पूरा ख्याल रखा जाता है इतना ही नही आपने अक्सर घर के बड़े बुजुर्गों के मुह से कहते सुना होगा की दूध में केसर डालकर पीने से होने वाली संतान गोरी पैदा होती है। मां बनने वाली महिला को परिवार जन फल , मेवे तरह-तरह के भोजन और पकवान खिलाते हैं ताकि, मां और बच्चा स्वस्थ हो और होने वाला बच्चा मजबूत सुंदर और गोरा पैदा हो लेकिन हमारे देश में ऐसी भी एक जगह है जहां मां बनने वाली महिला को इस लिए खून पिलाया जाता है ताकि उसके होने वाले बच्चे का रंग गहरा और काला हो। जानें क्या है ऐसा करने की वजह

दरअसल अंडमान द्वीप के  घने जंगलों में रहने वाली जरावा जनजाति में ऐसी मान्यता है की होने वाले बच्चे की मां को जानवरों का खून पिलाने से बच्चा काला और गहरे रंग का पैदा होगा इसी लिए इस जनजाति के लोग गर्भवति महिला को जंगली जानवरों का खून पिलाते हैं। ताकि होने वाली संतान में उनकी प्रजाति के रंग रूप जैसी ही हो और उसमें किसी तरह की भिन्नता ना हो।

बच्चे का रंग गोरा हुआ तो उसे मार दिया जाता है।
भारत के केंद्र शासित प्रदेश अंडमान में  जरावा जनजाति की परंपरा के अनुसार उनका मानना है की अगर बच्चा गोरा होता है तो वो उनके समुदाय का नही है और ऐसा बच्चा उनकी प्रजाति के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है और इसी वजह से इस जनजाति के लोग बच्चे के जन्म के फौरन बाद ही अगर उसका रंग काला नही होता हलका सावला या गोरा होता है तो उसे उसी के परिवार वाले मार डालते हैं। ये लोग मुख्यता एक साथ झुंड बनाकर चलते हैं जंगलों में कबीले बनाकर रहते हैं। जीवन यापन के लिए जरावा जनजाति के लोग जंगली जानवरों का शिकार करते हैं।

भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक जरावा जनजाति की कुल आबादी 400 के करीब है। ये जनजाति अंडमान द्वीप उत्तरीय इलाके में रहती है। जारवा जनजाति का इतिहास लगभग 55 हजार साल  पुराना है और हाजारों सालों से जनजाति यहां रहती है। इस जनजाति का पता सन 1990 में पहली बार पता चला।

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