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बॉलीवुड की पहली ड्रीम गर्ल देविका रानी नें फिल्मी पर्दे पर दिया 4 मिनट का सबसे लंबा किसिंग सीन
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ये हैं बॉलीवुड की पहली ड्रीम गर्ल जिसने फिल्मी पर्दे पर दिया 4मिनट का सबसे लंबा किसिंग सीन

बॉलीवुड में जब भी ड्रीम गर्ल की बात आती है तो सभी के मन में हेमा मालिनी का नाम आता है लेकिन क्या आप जानते हैं की बॉलीवुड में हेमा मालिनी से पहले भी एक ड्रीम गर्ल थी जिसने भारतीय सिनेमा का पहला किसिंग सीन दिया था जो तकरीबन 4 मिनट तक चला ।

30 मार्च 1908 में  दक्षिण भारत के आंध्रप्रदेश के वाल्टेयर में जन्मीं देविका रानी नें अपने परिवार के खिलाफ जाकर सिने जगत में बतौर एक्ट्रेस काम करना शुरू किया 1933 में आई हिंदी फिल्म कर्म के साथ देविका नें फिल्मी पर्दे पर अपना पहला कदम रखा ।

बंगाली परिवार में जन्मी देविका के पिता कर्नल एम एन चौधरी वाल्टेयर के सबसे उंचे बंगाली परिवार से ताल्लुख रखते थे यहां पर आपको एक दिलचस्प बात और बता दें की कर्नल एम एन चौधरी भारत के पहले सर्जन भी थे ।

देविका के पिता पढ़ाई को लेकर बहुत शख्त थे और इसी लिए उन्होनें महज़ 9 साल की उम्र में ही देविका को इंग्लैंड पढ़ने भेजा बचपन से ही अभिनय में अपना करियर बनाने का सपना लिए देविका इंग्लैंड चली गईं और वहां उन्होनें स्कूलिंग पूरी करने के बाद रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट में दाखिला लिया।

देविका पूरी लगन के साथ अभिनय की बारीकियां सीखने लगीं । इसी के साथ ही देविका नें वास्तुकला में डिप्लोमा भी लिया भारत लौटने से पहले देविका की मुलाकात ब्रिटिश फिल्म निर्माता बुस्त्र बुल्फ से हुई ।

देविका की स्किल्स को देखते हुए फिल्म निर्माता नें उन्हें अपनी कंपनी में बतौर डिजाइनर न्युक्त किया । देविका नें इस नौकरी को ज्वाइन ही किया था की इसी दौरान देविका की मुलाकात भारतीय फिल्म निर्देशक हिमांशु रॉय से हुई हिमांशु अपनी फिल्म द लाइट ऑफ एशिया की सफलता से जुड़े एक फिल्म समारोह में गए थे।

हिमांशु की नजरें जैसे ही देविका पर पड़ीं वो देविका की खूबसूरती के कायल हो गए देविका के साथ इस पहली मुलाकात में ही हिमांशु नें उन्हें अपनी अपकमिंग फिल्म कर्म क ऑफर दे दिया। देविका के बचपन का सपना हिमांशु के रूप में उनके सामने खड़ा था देविका नें बिना देर किए फौरन फिल्म के लिए हां कर दी ।

देविका के साथ कर्म में हिमांशु नें बतौर हीरो खुद ही काम किया 1933 में आई अपनी पहली ही फिल्म में देविका नें हिमांशु के साथ करीबन 4 मिनट तक लिप पॉक सीन किया ।

जिसके लिए भारतीय समाज में उनकी काफी समय तक आलोचना हुई । इसी फिल्म के साथ ही देविका और हिमांशु के प्यार का सिलसिला भी शुरू हुआ और दोनों नें बिना देर किए एक दूसरे से शादी कर ली ।

 

शादी के बाद हिमांशु और देविका मुंबई आ गए देविका और हिमांशु नें मिलकर 1935 में बॉम्बे टाकीज प्रोडक्शन हाउस की स्थापना की । बॉम्बे टॉकीज के बैनर तले बनने वाली पहली फिल्म थी जवानी की हवा जिसमें एक बार फिर देविका नें अपनी एक्टिंक का जौहर दिखाया ।

फिल्म में देविका की एक्टिंग को काफी सराहना मिली देविका और हिमांशु के प्रोडक्शन हाउस बॉम्बे टाकीज के बैनर तले बनने वाली फिल्मों में से एक फिल्म थी साल 1936 में आई अछूत कन्या फिल्म में देविका के अपोज़िट अशोक कुमार नजर आए अशोक और देविका की जोड़ी को दर्शकों का भरपूर प्यार मिला और ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपर हिट रही । इसके बाद इज्जत, सावित्री, निर्मला जैसी फिल्मों में देविका रानी और अशोक कुमार नें एक साथ काम किया ।

बॉम्बे टॉकीज की सफलता का दौर भी इन्ही फिल्मों के साथ शुरू हुआ लेकिन देविका की इस सफलता में उनके पति हिमांशु ज्यादा समय तक साथ नही निभा सके 1940 में अचानक ही हिमांशु की मौत हो गई ।

लेकिन पति की मौत के बाद भी देविका बॉम्बे टॉकीज को बखूबी संभालती रही

बंधन, झूला, बसंत किस्मत जैसी फिल्मों नें भारतीय सिनेमा को फिल्मी जगत में एक नई पहचान दिलाई देविका की फिल्म किस्मत सबसे ज्यादा सफल साबित हुई । लेकिन बॉम्बे टॉकीज को अकेले चला पाना देविका के लिए मुश्किल होने लगा क्योंकि उनके मूल्यों और उनके फैसले की अनदेखी की जा रही थी ।

अपने सहयोगियों का ये बर्ताव देविका से सहन नही हो सका और साल 1945 में देविका नें बॉम्बे टॉकीज की कमान पूरी तरह से छोड़ दी और इसी के साथ ही फिल्म जगत से अलग हो गईं ।

कुछ समय बाद ही देविका की मुलाकात रूसी चित्रकार स्वेतोस्लाब रोरिक से हुई रोरिक से मिलने के बाद देविका नें अपनी जिंदगी को एक बार फिर से नए सिरे से शुरू करने का फैसला लिया और उनसे शादी कर ली ।

1969 में भारत के सबसे बड़े फिल्म पुरष्कार दादासाहेब फाल्के अवार्ड की शुरूआत की गई इस अवार्ड की पहली हकदार देविका रानी बनी । इसी के साथ ही भारतीय सिने जगत को एक नई पहचान देने के लिए देविका को पद्मश्री अवार्ड भी मिला ।

आज ही के दिन 9 मार्च 1994 के दिन बॉलीवुड की ये खूबसूरत ड्रीम गर्ल हमेशा के लिए दुनिया को अल्विदा कह गई ।

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